यह संदेश प्रकाशितवाक्य की पुस्तक के 1 अध्याय के 1-3 पद पर आधारित है, धन्य आशीषें
1. धन्य हैं वे मृतक जो प्रभु में मरते है।
2. धन्य हेैं वे जो जाग्रत रह कर अपने वस्त्रों की रक्षा करते हैं।
3.धन्य है वे जो मरनें के विवाह में आमन्त्रित हैं
4. धन्य है वह जो नबूवत के वचनों को पढ़ता है।
5.धन्य और पवित्र हैं वे जो प्रथम पुनरूत्थान के भागी हैं।
6. धन्य हैं वह जो इस पुस्तक के नबूवत के वचनों को मानता है।
7.धन्य हैं वे जो अपने वस्त्रों को धो लेते है।
इस संदेश में हम प्रकाशितवाक्य की पुस्तक का परिचय एवं 7 धन्य आशीषें देखते हैं जो हमें प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को समझने में सहायता करता है।