युवा अवस्था में उत्तरदत्यित्व जबकि बुढ़ापा और मृत्यु निकट हैं।

फ़रवरी 9, 2022 |
खंड: सभोपदेशक 12:1-14 | शृंखला: |

यह संदेश सभोपदेशक 12 अध्याय पर आधारित है जिसमें हम देखते है कि सुलैमान / उपदेशक कहता है कि युवा अवस्था में उत्तरदत्यित्व जबकि बुढ़ापा और मृत्यु निकट हैं। जो जवान है उनकी क्या जिम्मेदारी है ,कि वह परमेश्वर का भय माने और उसकी आज्ञाओं का पालन करें ,क्योंकि हर एक मनुष्य का कर्तव्य यही है। क्योंकि वह यह जानता है कि बुढ़ापा और मृत्यु निकट है। उपदेशक यह क्यों कहता है यह जानने के लिए आइये हम इस संदेश को देखें।

ये सिय्योन को संस्थापित करने वाले वरिष्ठ पास्टर हैं तथा प्राचीनों के समूह को अगवाई प्रदान करते हैं । ये कलीसियाई सेवा में तब से रहे हैं जब से इन्होंने 1979 में एच ए एल की सरकारी नौकरी से त्याग-पत्र देकर बाराबंकी में सिय्योन कलीसिया का आरम्भ किया। ये उत्तर भारत में कलीसिया रोपण का एक मार्ग प्रशस्त करने वाले शिक्षक हैं, जिन्होंने 1980 के दशक से कलीसिया रोपण करने वालों के लिए कई अनौपचारिक प्रशिक्षणों का आयोजन किया है। इनके बाइबल का व्यक्तिगत अध्ययन अत्यन्त गहन है, जो इनके प्रचार में और इनके द्वारा तैयार किए गए अनेक अध्ययन सामग्री में बहुत ही स्पष्ट रीति से प्रत्यक्ष है।