मनुष्य परमेश्वर के बिना कुछ नहीं कर सकता है (भाग 2) सभो.2:1-26

पापी को उसने एकत्र करने तथा संग्रह करने का कार्य सौंपा है कि परमेश्वर उसे उस मनुष्य को दें जो उसकी दृष्टि में भला है। यह संदेश सभोपदेशक 2:1-26 पर आधारित है, जो हमें बताता है कि उपदेशक राजा सुलैमान जिसे किसी भी चीज़ की कमी नहीं और परमेश्वर नें उसे उस से पहले हुए सभी राजाओं से बढ़कर सब कुछ दिया परन्तु वह परमेश्वर को भूल कर उन संसारिक चीज़ों में मन लगाता है और उन सभी आज्ञाओं को तोड़ता है जो एक राजा के लिए परमेश्वर ने दी थी। उसनें सभी प्रकार के सुख-विलाष प्राप्त किया था, अतः अब उसको यह अहसास होता है कि संसार की कोई भी वस्तु हमें वह संतुष्टि नहीं दे सकती जो परमेश्वर देता है, बिना परमेश्वर के जीवन व्यर्थ है, चाहे इस संसार में कुछ भी हासिल कर ले हमारा सारा परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा, इसीलिए उपदेशक कहता है "सब कुछ व्यर्थ और वायु पकड़ने का प्रयास मात्र है।"