विश्वासी जीवन किसी प्रकार के अन्याय से प्रसन्न नहीं होता है। यह संदेश सभोपदेशक 6 अध्याय पर आधारित है जिसमें हम देखते है कि सुलैमान / उपदेशक कहता है कि एक विश्वासी का जीवन अपने आस-पास हो रहे अन्याय से प्रसन्न नहीं होता है, क्योंकि हम जिस पर विश्वास करते हैं वह परमेश्वर न्यायी है और एक विश्वासी को भी उसी के सदृश होना है।वह न्याय से प्रसन्न होता न कि अन्याय से। आइये परमेश्वर कि इच्छा को जानने के लिए कि वह हमारे जीवन से क्याे चाहता है न्याय के साथ रहो ? इस संदेश को देखें